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Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 10

भगवद् गीता अध्याय 14 श्लोक 10

रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत।
रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा।।14.10।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 14.10)

।।14.10।।हे भरतवंशोद्भव अर्जुन रजोगुण और तमोगुणको दबाकर सत्त्वगुण? सत्त्वगुण और तमोगुणको दबाकर रजोगुण? वैसे ही सत्त्वगुण और रजोगुणको दबाकर तमोगुण बढ़ता है।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।14.10।। हे भारत कभी रज और तम को अभिभूत (दबा) करके सत्त्वगुण की वृद्धि होती है? कभी रज और सत्त्व को दबाकर तमोगुण की वृद्धि होती है? तो कभी तम और सत्त्व को अभिभूत कर रजोगुण की वृद्धि होती है।।