Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 30 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 30 प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वशः। यः पश्यति तथाऽऽत्मानमकर्तारं स पश्यति।।13.30।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.30) ।।13.30।।जो सम्पूर्ण क्रियाओंको सब प्रकारसे प्रकृतिके द्वारा ही की जाती हुई देखता है और अपनेआपको अकर्ता देखता (अनुभव करता) है? वही यथार्थ देखता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.30।। जो पुरुष समस्त कर्मों को सर्वश प्रकृति द्वारा ही किये गये देखता है तथा आत्मा को अकर्ता देखता है? वही (वास्तव में) देखता है।।