Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 29 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 29 समं पश्यन्हि सर्वत्र समवस्थितमीश्वरम्। न हिनस्त्यात्मनाऽऽत्मानं ततो याति परां गतिम्।।13.29।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.29) ।।13.29।।क्योंकि सब जगह समरूपसे स्थित ईश्वरको समरूपसे देखनेवाला मनुष्य अपनेआपसे अपनी हिंसा नहीं करता? इसलिये वह परमगतिको प्राप्त हो जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.29।। निश्चय ही? वह पुरुष सर्वत्र सम भाव से स्थित परमेश्वर को समान हुआ आत्मा (स्वयं) के द्वारा आत्मा (स्वयं) का नाश नहीं करता है? इससे वह परम गति को प्राप्त होता है।।