Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 26 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 26 अन्ये त्वेवमजानन्तः श्रुत्वाऽन्येभ्य उपासते। तेऽपि चातितरन्त्येव मृत्युं श्रुतिपरायणाः।।13.26।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.26) ।।13.26।।दूसरे मनुष्य इस प्रकार (ध्यानयोग? सांख्ययोग? कर्मयोग? आदि साधनोंको) नहीं जानते? केवल (जीवन्मुक्त महापुरुषोंसे) सुनकर उपासना करते हैं? ऐसे वे सुननेके परायण मनुष्य भी मृत्युको तर जाते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.26।। परन्तु? अन्य लोग जो स्वयं इस प्रकार न जानते हुए? दूसरों से (आचार्यों से) सुनकर ही उपासना करते हैं? वे श्रुतिपरायण (अर्थात् श्रवण ही जिनके लिए परम साधन है) लोग भी मृत्यु को निसन्देह तर जाते हैं।।