Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 22 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 22 पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान्। कारणं गुणसङ्गोऽस्य सदसद्योनिजन्मसु।।13.22।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.22) ।।13.22।।प्रकृतिमें स्थित पुरुष ही प्रकृतिजन्य गुणोंका भोक्ता बनता है और गुणोंका सङ्ग ही उसके ऊँचनीच योनियोंमें जन्म लेनेका कारण बनता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.22।। प्रकृति में स्थित पुरुष प्रकृति से उत्पन्न गुणों को भोगता है। इन गुणों का संग ही इस पुरुष (जीव) के शुभ और अशुभ योनियों में जन्म लेने का कारण है।।