Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 2 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 2 श्री भगवानुवाच इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते। एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः।।13.2।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.2) ।।13.2।।श्रीभगवान् बोले -- हे कुन्तीपुत्र अर्जुन यह -- रूपसे कहे जानेवाले शरीरको क्षेत्र कहते हैं और इस क्षेत्रको जो जानता है? उसको ज्ञानीलोग क्षेत्रज्ञ नामसे कहते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.2।। श्रीभगवान् ने कहा -- हे कौन्तेय यह शरीर क्षेत्र कहा जाता है और इसको जो जानता है? उसे तत्त्वज्ञ जन? क्षेत्रज्ञ कहते हैं।।