Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 13 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 13 ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वाऽमृतमश्नुते। अनादिमत्परं ब्रह्म न सत्तन्नासदुच्यते।।13.13।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.13) ।।13.13।।(टिप्पणी प0 687.1) जो ज्ञेय है? उस(परमात्मतत्त्व) को मैं अच्छी तरहसे कहूँगा? जिसको जानकर मनुष्य अमरताका अनुभव कर लेता है। वह (ज्ञेयतत्त्व) अनादि और परम ब्रह्म है। उसको न सत् कहा जा सकता है और न असत् ही कहा जा सकता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.13।। मैं उस ज्ञेय वस्तु को स्पष्ट कहूंगा जिसे जानकर मनुष्य अमृतत्व को प्राप्त करता है। वह ज्ञेय है अनादि? परम ब्रह्म? जो न सत् और न असत् ही कहा जा सकता है।।