Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 10 भगवद् गीता अध्याय 13 श्लोक 10 असक्ितरनभिष्वङ्गः पुत्रदारगृहादिषु। नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु।।13.10।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 13.10) ।।13.10।।आसक्तिरहित होना पुत्र? स्त्री? घर आदिमें एकात्मता (घनिष्ठ सम्बन्ध) न होना और अनुकूलताप्रतिकूलताकी प्राप्तिमें चित्तका नित्य सम रहना। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।13.10।। आसक्ति तथा पुत्र? पत्नी? गृह आदि में अनभिष्वङ्ग (तादात्म्य का अभाव) और इष्ट और अनिष्ट की प्राप्ति में समचित्तता।।