Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 7 भगवद् गीता अध्याय 12 श्लोक 7 तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात्। भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम्।।12.7।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।12.7।। हे पार्थ जिनका चित्त मुझमें ही स्थिर हुआ है ऐसे भक्तों का मैं शीघ्र ही मृत्युरूप संसार सागर से उद्धार करने वाला होता हूँ।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary