Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 14 भगवद् गीता अध्याय 12 श्लोक 14 सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः।।12.14।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।12.14।। जो संयतात्मा? दृढ़निश्चयी योगी सदा सन्तुष्ट है? जो अपने मन और बुद्धि को मुझमें अर्पण किये हुए है? जो ऐसा मेरा भक्त है? वह मुझे प्रिय है।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary