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Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 13

भगवद् गीता अध्याय 12 श्लोक 13

अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।
निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी।।12.13।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 12.13)

।।12.13।।सब प्राणियोंमें द्वेषभावसे रहित? सबका मित्र (प्रेमी) और दयालु? ममतारहित? अहंकाररहित? सुखदुःखकी प्राप्तिमें सम? क्षमाशील? निरन्तर सन्तुष्ट? योगी? शरीरको वशमें किये हुए? दृढ़ निश्चयवाला? मेरेमें अर्पित मनबुद्धिवाला जो मेरा भक्त है? वह मेरेको प्रिय है।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।12.13।। भूतमात्र के प्रति जो द्वेषरहित है तथा सबका मित्र तथा करुणावान् है जो ममता और अहंकार से रहित? सुख और दुख में सम और क्षमावान् है।।