Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 1 भगवद् गीता अध्याय 12 श्लोक 1 अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते। येचाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः।।12.1।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 12.1) ।।12.1।।जो भक्त इस प्रकार निरन्तर आपमें लगे रहकर आप(सगुण भगवान्) की उपासना करते हैं और जो अविनाशी निराकारकी ही उपासना करते हैं? उनमेंसे उत्तम योगवेत्ता कौन हैं हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।12.1।। अर्जुन ने कहा -- जो भक्त? सतत युक्त होकर इस (पूर्वोक्त) प्रकार से आपकी उपासना करते हैं और जो भक्त अक्षर? और अव्यक्त की उपासना करते हैं? उन दोनों में कौन उत्तम योगवित् है।।