Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 5 भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 5 श्री भगवानुवाच पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः। नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च।।11.5।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।11.5।। श्रीभगवान् ने कहा -- हे पार्थ मेरे सैकड़ों तथा सहस्रों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा आकृति वाले दिव्य रूपों को देखो।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary