Download Bhagwad Gita 11.42 Download BG 11.42 as Image

⮪ BG 11.41 Bhagwad Gita Brahma Vaishnava Sampradaya BG 11.43⮫

Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 42

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 42

यच्चावहासार्थमसत्कृतोऽसि
विहारशय्यासनभोजनेषु।
एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं
तत्क्षामये त्वामहमप्रमेयम्।।11.42।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।11.42।। और? हे अच्युत जो आप मेरे द्वारा हँसी के लिये बिहार? शय्या? आसन और भोजन के समय अकेले में अथवा अन्यों के समक्ष भी अपमानित किये गये हैं? उन सब के लिए अप्रमेय स्वरूप आप से मैं क्षमायाचना करता हूँ।।

Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary

Lord Krishna is addressed as acyuta meaning He who is infallible. The word ekah refers to Him being the one and only, the best of all beings. It also denotes the knower of all things eka eva karoti yat which means as He alone does.