Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 29 भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 29 यथा प्रदीप्तं ज्वलनं पतङ्गा विशन्ति नाशाय समृद्धवेगाः। तथैव नाशाय विशन्ति लोका स्तवापि वक्त्राणि समृद्धवेगाः।।11.29।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 11.29) ।।11.29।।जैसे पतंगे मोहवश अपना नाश करनेके लिये बड़े वेगसे दौड़ते हुए प्रज्वलित अग्निमें प्रविष्ट होते हैं? ऐसे ही ये सब लोग मोहवश अपना नाश करनेके लिये ही बड़े वेगसे दौड़ते हुए आपके मुखोंमें प्रविष्ट हो रहे हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।11.29।। जैसे पतंगे अपने नाश के लिए प्रज्वलित अग्नि में अतिवेग से प्रवेश करते हैं? वैसे ही ये लोग भी अपने नाश के लिए आपके मुखों में अतिवेग से प्रवेश करते हैं।।