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Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 28

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 28

यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगाः
समुद्रमेवाभिमुखाः द्रवन्ति।
तथा तवामी नरलोकवीरा
विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति।।11.28।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 11.28)

।।11.28।।जैसे नदियोंके बहुतसे जलके प्रवाह स्वाभाविक ही समुद्रके सम्मुख दौड़ते हैं? ऐसे ही वे संसारके महान् शूरवीर आपके प्रज्वलित मुखोंमें प्रवेश कर रहे हैं।

Shri Vaishnava Sampradaya - Commentary