Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 27 भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 27 वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि। केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु संदृश्यन्ते चूर्णितैरुत्तमाङ्गैः।।11.27।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।11.27।। तीव्र वेग से आपके विकराल दाढ़ों वाले भयानक मुखों में प्रवेश करते हैं और कई एक चूर्णित शिरों सहित आपके दांतों के बीच में फँसे हुए दिख रहे हैं।। Kumara Vaishnava Sampradaya - Commentary