Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 23 भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 23 रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रं महाबाहो बहुबाहूरुपादम्। बहूदरं बहुदंष्ट्राकरालं दृष्ट्वा लोकाः प्रव्यथितास्तथाऽहम्।।11.23।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 11.23) ।।11.23।।हे महाबाहो आपके बहुत मुखों और नेत्रोंवाले? बहुत भुजाओं? जंघाओं और चरणोंवाले? बहुत उदरोंवाले? बहुत विकराल दाढ़ोंवाले महान् रूपको देखकर सब प्राणी व्यथित हो रहे हैं तथा मैं भी व्यथित हो रहा हूँ। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।11.23।। हे महाबाहो आपके बहुत मुख तथा नेत्र वाले? बहुत बाहु? उरु (जंघा) तथा पैरों वाले? बहुत उदरों वाले तथा बहुतसी विकराल दाढ़ों वाले महान् रूप को देखकर सब लोग व्यथित हो रहे हैं और उसी प्रकार मैं भी (व्याकुल हो रहा हूँ)।।