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Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 16

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 16

अनेकबाहूदरवक्त्रनेत्रं
पश्यामि त्वां सर्वतोऽनन्तरूपम्।
नान्तं न मध्यं न पुनस्तवादिं
पश्यामि विश्वेश्वर विश्वरूप।।11.16।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 11.16)

।।11.16।।हे विश्वरूप हे विश्वेश्वर आपको मैं अनेक हाथों? पेटों? मुखों और नेत्रोंवाला तथा सब ओरसे अनन्त रूपोंवाला देख रहा हूँ। मैं आपके न आदिको? न मध्यको और न अन्तको ही देख रहा हूँ।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।11.16।। हे विश्वेश्वर मैं आपकी अनेक बाहु? उदर? मुख और नेत्रों से युक्त तथा सब ओर से अनन्त रूपों वाला देखता हूँ। हे विश्वरूप मैं आपके न अन्त को देखता हूँ और न मध्य को और न आदि को।।