Download Bhagwad Gita 11.12 Download BG 11.12 as Image

⮪ BG 11.11 Bhagwad Gita Swami Chinmayananda BG 11.13⮫

Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 12

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 12

दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः।।11.12।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।11.12।। आकाश में सहस्र सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश होगा? वह उस (विश्वरूप) परमात्मा के प्रकाश के सदृश होगा।।

हिंदी टीका - स्वामी चिन्मयानंद जी

।।11.12।। अन्ध राजा धृतराष्ट्र को शीघ्रता में विश्वरूप की रूपरेखा का वर्णन करने के पश्चात्? अब संजय उस विराट् पुरुष की महिमा का वर्णन करता है। अपने विराट् रूप में भगवान् अपने ही दिव्य प्रकाश से चमक रहे थे और उनका यह तेजस्वी वैभव नेत्रों को चकाचौंध कर रहा था और सम्भवत? इस एक और कारण से संजय पूर्व के दो श्लोकों में अधिक विस्तृत जानकारी नहीं दे पाया। भगवान् के इस प्रकाश का वर्णन करने के लिए संजय? एक विचित्र किन्तु प्रभावशाली उपमा यहाँ देता है।विराट् पुरुष के उस गौरवमय पुरुष का तेज ऐसा था? मानो? आकाश में सहस्र सूर्य एक साथ प्रकाशित हो रहे हों। उपनिषदों में भी आत्मा का वर्णन कुछ इसी प्रकार किया गया है? परन्तु? यह स्वीकार करना पड़ेगा कि संजय के मुख से? और विशेषकर जब वह भगवान् श्रीकृष्ण के ईश्वरीय रूप का वर्णन कर रहा है? इस उपमा को विशेष ही आकर्षण और गौरव प्राप्त होता है।और अधिक विवरण देकर इस दृश्य को और अधिक सुन्दर बनाते हुए संजय कहता है