Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 10 भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 10 अनेकवक्त्रनयनमनेकाद्भुतदर्शनम्। अनेकदिव्याभरणं दिव्यानेकोद्यतायुधम्।।11.10।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।11.10।। उस अनेक मुख और नेत्रों से युक्त तथा अनेक अद्भुत दर्शनों वाले एवं बहुत से दिव्य भूषणों से युक्त और बहुत से दिव्य शस्त्रों को हाथों में उठाये हुये।। हिंदी टीका - स्वामी चिन्मयानंद जी ।।11.10।। See commentary under 11.11