Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 28 भगवद् गीता अध्याय 10 श्लोक 28 आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्। प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः।।10.28।। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।10.28।। मैं शस्त्रों में वज्र और धेनुओं (गायों) में कामधेनु हूँ? प्रजा उत्पत्ति का हेतु कन्दर्प (कामदेव) मैं हूँ और सर्पों में वासुकि हूँ।। Brahma Vaishnava Sampradaya - Commentary