Download Bhagwad Gita 10.23 Download BG 10.23 as Image

⮪ BG 10.22 Bhagwad Gita Swami Ramsukhdas Ji BG 10.24⮫

Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 23

भगवद् गीता अध्याय 10 श्लोक 23

रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्।।10.23।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 10.23)

।।10.23।।रुद्रोंमें शंकर और यक्षराक्षसोंमें कुबेर मैं हूँ? वसुओंमें पावक (अग्नि) और शिखरवाले पर्वतोंमें मेरु मैं हूँ।

हिंदी टीका - स्वामी रामसुख दास जी

।।10.23।। व्याख्या --   रुद्राणां शंकरश्चास्मि -- हर? बहुरूप? त्र्यम्बक आदि ग्यारह रुद्रोंमें शम्भु अर्थात् शंकर सबके अधिपति हैं। ये कल्याण प्रदान करनेवाले और कल्याणस्वरूप हैं। इसलिये भगवान्ने इनको अपनी विभूति बताया है।वित्तेशो यक्षरक्षसाम् -- कुबेर यक्ष तथा राक्षसोंके अधिपति हैं और इनको धानाध्यक्षके पदपर नियुक्त किया,गया है। सब यक्षराक्षसोंमें मुख्य होनेसे ये भगवान्की विभूति हैं।वसूनां पावकश्चास्मि -- धर? ध्रुव? सोम आदि आठ वसुओंमें अनल अर्थात् पावक (अग्नि) सबके अधिपति हैं। ये सब देवताओंको यज्ञकी हवि पहुँचानेवाले तथा भगवान्के मुख हैं। इसलिये इनको भगवान्ने अपनी विभूति बताया है।मेरुः शिखरिणामहम् -- सोने? चाँदी? ताँबे आदिके शिखरोंवाले जितने पर्वत हैं? उनमें सुमेरु पर्वत मुख्य है। यह सोने तथा रत्नोंका भण्डार है। इसलिये भगवान्ने इसको अपनी विभूति बताया है।इस श्लोकमें जो चार विभूतियाँ कही हैं? उनमें जो कुछ विशेषता -- महत्ता दीखती है? वह विभूतियोंके मूलरूप परमात्मासे ही आयी है। अतः इन विभूतियोंमें परमात्माका ही चिन्तन होना चाहिये।