Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 13 भगवद् गीता अध्याय 10 श्लोक 13 आहुस्त्वामृषयः सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा। असितो देवलो व्यासः स्वयं चैव ब्रवीषि मे।।10.13।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 10.13) ।।10.13।।अर्जुन बोले -- परम ब्रह्म? परम धाम और महान् पवित्र आप ही हैं। आप शाश्वत? दिव्य पुरुष? आदिदेव? अजन्मा और विभु (व्यापक) हैं -- ऐसा सबकेसब ऋषि? देवर्षि नारद? असित? देवल तथा व्यास कहते हैं और स्वयं आप भी मेरे प्रति कहते हैं। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद ।।10.13।। ऐसा आपको समस्त ऋषिजन कहते हैं वैसे ही देवर्षि नारद? असित? देवल ऋषि तथा व्यास और स्वयं आप भी मेरे प्रति कहते हैं।।