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Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 33

भगवद् गीता अध्याय 1 श्लोक 33

येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च।
त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च।।1.33।।

हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 1.33)

।।1.33।।जिनके लिये हमारी राज्य? भोग और सुखकी इच्छा है? वे ही ये सब अपने प्राणोंकी और धनकी आशाका त्याग करके युद्धमें खड़े हैं।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।1.33।।हमें जिनके लिये राज्य भोग और सुखादि की इच्छा है वे ही लोग धन और जीवन की आशा को त्यागकर युद्ध में खड़े हैं।