Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 27 भगवद् गीता अध्याय 1 श्लोक 27 श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि। तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्।।1.27।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 1.27) ।।1.27।।अपनीअपनी जगहपर स्थित उन सम्पूर्ण बान्धवोंको देखकर वे कुन्तीनन्दन अर्जुन अत्यन्त कायरतासे युक्त होकर विषाद करते हुए ये वचन बोले। Shri Vaishnava Sampradaya - Commentary There is no commentary for this verse.