Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 11 भगवद् गीता अध्याय 1 श्लोक 11 अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः। भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि।।1.11।। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 1.11) ।।1.11।।आप सबकेसब लोग सभी मोर्चोंपर अपनीअपनी जगह दृढ़तासे स्थित रहते हुए ही पितामह भीष्मकी चारों ओरसे रक्षा करें। हिंदी टीका - स्वामी रामसुख दास जी  1.11।। व्याख्या    अयनेषु च सर्वेषु ৷৷. भवन्तः सर्व एव हि   जिनजिन मोर्चोंपर आपकी नियुक्ति कर दी गयी है आप सभी योद्धालोग उन्हीं मोर्चोंपर दृढ़तासे स्थित रहते हुए सब तरफसे सब प्रकारसे भीष्मजीकी रक्षा करें।भीष्मजीकी सब ओरसे रक्षा करें यह कहकर दुर्योधन भीष्मजीको भीतरसे अपने पक्षमें लाना चाहता है। ऐसा कहनेका दूसरा भाव यह है कि जब भीष्मजी युद्ध करें तब किसी भी व्यूहद्वारसे शिखण्डी उनके सामने न आ जाय इसका आपलोग खयाल रखें। अगर शिखण्डी उनके सामने आ जायगा तो भीष्मजी उसपर शस्त्रास्त्र नहीं चलायेंगे। कारण कि शिखण्डी पहले जन्ममें भी स्त्री था और इस जन्ममें भी पहले स्त्री था पीछे पुरुष बना है। इसलिये भीष्मजी इसको स्त्री ही समझते हैं और उन्होंने शिखण्डीसे युद्ध न करनेकी प्रतिज्ञा कर रखी है। यह शिखण्डी शङ्करके वरदानसे भीष्मजीको मारनेके लिये ही पैदा हुआ है। अतः जब शिखण्डीसे भीष्मजीकी रक्षा हो जायगी तो फिर वे सबको मार देंगे जिससे निश्चित ही हमारी विजय होगी। इस बातको लेकर दुर्योधन सभी महारथियोंसे भीष्मजीकी रक्षा करनेके लिये कह रहा है। सम्बन्ध   द्रोणाचार्यके द्वारा कुछ भी न बोलनेके कारण दुर्योधनका मानसिक उत्साह भङ्ग हुआ देखकर उसके प्रति भीष्मजीके किये हुए स्नेहसौहार्दकी बात सञ्जय आगेके श्लोकमें प्रकट करते हैं।